दहेज- एक बुरी बला
अथवा
दहेज- एक सामाजिक बुराई
रूपेश नाम का एक युवक था। वह एक मोटर मैकेनिक था। मोना नाम की एक सुंदर लड़कों से उसका परिचय हुआ। परिचय बढ़ता गया और कुछ समय बाद दोनों ने विवाह कर लिया। मोना गरीब घर की, पर स्वभाव की अच्छी थी। विवाह के बाद कुछ महीने आनंद में बीत गए। इस बीच राकेश ने एक रिक्शा खरीदने का निश्चय किया। उसने मोना से कहा कि वह पचास हजार रुपये अपने पिता से ले आए, क्योंकि विवाह के समय दहेज के रूप में कुछ भी नहीं दिया था। इस पर मोना ने कहा, “तुम जानते हो कि मेरे पिता एक दफ्तर में मामूली क्लर्क हैं। उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। इतनी बड़ी रकम मैं उनसे कैसे माँग सकती हूँ ?" रूपेश रोज मोना से रकम लाने के लिए कहता और मोना साफ इनकार कर देती। फिर तो दहेज की रकम के लिए उनमें रोज झगड़ा होने लगा। कभी-कभी रूपेश मोना की मारपीट भी करता।एक दिन राकेश और मोना के बीच झगड़ा इतना बढ़ गया कि मोना नाराज होकर अपने पिता के घर चली गई। मोना के पिता ने पुलिस में दहेज का केस कर दिया। परिणामस्वरूप न्यायालय ने रूपेश को छः महीने की जेल की सजा दी।
सीख : दहेज की प्रथा हमारे समाज के लिए अभिशाप है। इसकी लेन-देन से दूर रहना चाहिए।
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