एस. टी. स्टैंड का दृश्य
मुझे अलीबाग जाना था। बस पकड़ने के लिए मैं एस. टी. स्टैंड पहुँचा। वहाँ का दृश्य बहुत मजेदार था।
एक बड़े मैदान के चारों ओर ऊँची दीवार बनाकर यह एस. टी. स्टैंड बनाया गया था। यहाँ से अलग-अलग स्थानों पर जाने वाली बसें आती-जाती थीं। अलग-अलग बसों के लिए अलग-अलग प्लेटफार्म बनाए गए थे।
एस. टी. स्टैंड के एक और विशाल इमारत थी। इसमें विभिन्न कार्यालय थे। सबसे पहले नियंत्रण कक्ष था। उसके पास ही ड्राइवरों और कंडक्टरों के लिए विश्रामगृह बना हुआ था।
एस. टी. स्टैंड में एक अच्छी-सी कैंटीन भी थी। कैंटीन के बाहर यात्रियों के बैठने के लिए एक विशाल प्रतीक्षा गृह था। प्रतीक्षा गृह में बहुत-सी बेंचें थीं। इन बेंचों पर बैठे लोग अपनी-अपनी बसों का इंतजार कर रहे थे। प्रतीक्षा-गृह में ठंडे पानी का कूलर लगा था।
एस. टी. स्टैंड में हर जगह यात्रियों की भारी भीड़ थी। कुछ यात्री बाहर से आने वाली बसों से उतर रहे थे। कुछ लोग जाने वाली बसों की प्रतीक्षा कर रहे थे। जाने वाली बस रवाना होने से दस मिनट पहले ही प्लेटफार्म पर लग जाती थी। बस आते ही उस बस से यात्रा करने वाले यात्री कतार में खड़े हो जाते। कंडक्टर यात्रियों को बारी-बारी से टिकट देता जाता। यात्री टिकट लेकर अपनी सीट पर बैठ जाते।
कुछ कुली यात्रियों का सामान बस पर चढ़ाने-उतारने में व्यस्त थे। कुछ यात्री अखबार के स्टाल से अखबार और पत्रिकाएँ खरीद रहे थे।
एस. टी. स्टैंड के बाहर मिठाई, फल, खिलौने आदि की दुकानें थीं। पान-सिगरेट की दुकानों पर काफी भीड़ थी। कुछ भिखारी कटोरे लेकर भीख माँग रहे थे।
सचमुच, एस. टी. बस स्टैंड की चहल-पहल देखने लायक थी। अब मेरी बस प्लेटफार्म पर लग गई थी। घंटी बजते ही मेरी बस चल पड़ी। धीरे-धीरे एस. टी. बस स्टैंड पीछे छूटता गया। पर उसके दृश्य अब भी आँखों के सामने घूम रहे थे।
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