मेरी प्रिय ऋतु
[ रूपरेखा (1) प्रिय ऋतु का उल्लेख (2) प्रिय ऋतु की प्राकृतिक शोभा (3) लोगों पर असर (4) मेरा लगाय (5) मनपसंद ऋतु की प्रतीक्षा]
भारत प्रकृति का दुलारा देश है। यहाँ वर्ष भर में छः ऋतुएँ आती है वसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमंत और शिशिर ये आएँ इसी क्रम में आती हैं। इनमें से हर ऋतु का अपना महत्त्व है, अपनी विशेषता है। इनमें वसंत ऋतु मेरी सबसे प्रिय ऋतु है।
शिशिर ऋतु का अंत होते ही शीतकाल विदा होने लगता है। मनुष्य, पशु-पक्षी, पेड़-पौधे आदि सभी जाड़े की हिंदून में छुटकारा पाते हैं। फिर धरती पर ऋतुराज वसंत की सवारी सज-धज कर आ पहुँचती है। वसंत ऋतु का आगमन होते हो प्रकृति रंगबिरंगे फूलों से धरती को सजा देती है। सारा वातावरण खुशबू से महक उठता है। अमराइयों में आम के सुगंधित बौर अपनी सुगंध बिखेरने लगते हैं। पेड़ पौधे और लताएँ नया जीवन पाकर झूम उठते हैं और ऋतुराज वसंत के गुणगान करते हुए गुनगुनाने लगते हैं। रंगबिरंगी तितलियाँ बगीचों की शोभा में चार चाँद लगा देती हैं। कोयल के ' कुछ-कुछ' के स्वर वातावरण को संगीतमय बना देते हैं।
ऋतुराज वसंत जन जन के मन में नई उमंगें भर देता है। प्रकृति को मस्ती का लोगों पर बहुत असर पड़ता है। लोग ढोलक, करताल और मंजीरों के साथ झूम-झूमकर फाग गाते और वसंत पंचमी का त्योहार मनाते हैं। वह लोकगीत मन में उमंग भर देता है। फाग सुनना मुझे बहुत अच्छा लगता है। रंगों के त्योहार होली की तो बात ही निराली है। यह त्योहार वसंत के उल्लास में चार चाँद लगा देता है।
वसंत ऋतु में मैं सुबह-सुबह घूमने जाता हूँ। मेरे घर से कुछ दूरी पर एक हराभरा और खूबसूरत बगाँचा है। हरी हरी घास और रंगबिरंगे फूलों से भरे हुए इस बगीचे को सुंदरता मेरा मन मोह लेती है।
वसंत ऋतु बहुत ही मनभावन ऋतु है। इसीलिए यह मेरी प्रिय ऋतु है। मैं इसके आगमन की सदा प्रतीक्षा करता रहता हूँ।
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