मेरा प्रिय पंछी-तोता
[ रूपरेखा (1) प्रिय पंछी का उल्लेख (2) रंग, रूप और स्वभाव (3) समझदारी (4) विशेष गुण (5) प्राचीन काल में महत्त्व (6) उपसंहार]
हमारे देश में तरह-तरह के पंछी पाए जाते हैं। हर पंछी की अपनी-अपनी विशेषताएँ होती हैं। मोर के पास रंगबिरंगे सुंदर पंख हैं। कोयल के पास मधुर और सुरीली आवाज है। कौए के पास चतुराई है। बाज के पास शक्ति और फुरती है। गरुड़ और नीलकंठ आदि पंछियों में भी कुछ-न-कुछ खूबियाँ हैं। सुंदर और सफेद हंस बुद्धि और विवेक का प्रतीक है। परंतु इन सभी पंछियों में मुझे तोता सबसे अच्छा और प्यारा लगता है।
तोते का हरा रंग, लाल चोंच कंठ में काली पट्टी और कोमल पंख मेरे मन को मुग्ध कर देते हैं। वैसे दुनिया में कई किस्म के होते देखने को मिलते हैं। कई तोते तो बड़े सुंदर और मन को लुभाने वाले होते हैं। चिड़ियाघरों में तोतों की तरह तरह की जातियों पाई जाती हैं।
तोते को पालना बहुत आसान है वह अमरूद व अन्य फल तथा हरी मिर्च आदि बहुत चाव से खाता है। वह परिवार में सबसे हिल-मिल जाता है।
तोता बहुत समझदार पंछी है। उसे कोई चीज सिखाई जाए तो वह बहुत जल्दी सीख जाता है। दादी के साथ वह राम-राम' बोलता है। बच्चे उसे मिट्टू' कहकर बुलाते हैं तो यह भी मिट्टू' कहता है। यह एक पैर उठाकर नमस्ते भी कहता है।
घर में कोई मेहमान आता है तब तोता आइए' 'बैठिए कहकर उसका स्वागत करता है। तोते के मुँह से नमस्ते सुनकर मेहमान खुशी से झूम उठता है।
तोता हमारे देश में प्राचीन काल से ही एक लोकप्रिय पंछी रहा है। उसे आश्रमों और तपोवनों में भी पाला जाता था। राजा-महाराजाओं के महलों में उसे सोने के पिंजरों में रखा जाता था। कहा जाता है कि पंडित मंडन मिश्र का तोता विद्वानों के साथ शास्त्रार्थ करता था।
तोता खुले वातावरण में विचरण करने वाला पंछी है। तोते को हम पिंजरे में बंद रखते हैं, यह उसे पसंद नहीं। यह बात अनेक कवियों और लेखकों ने कही है। पर तोते की सुंदरता और बुद्धिमत्ता के कारण लोग उसे पालना चाहते हैं और पिंजरे में रखते हैं। ऐसा सुंदर, समझदार और मधुरभाषी तोता मेरा प्रिय पंछी है।
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