भारतीय किसान
[ रूपरेखा (1) परिचय (2) दैनिक काम-काज (3) जीवन की झलक (4) कुछ दोष भी (5) किसान का महत्त्व]
भारत एक कृषिप्रधान देश है इसलिए हमारे देश में किसानों का बहुत महत्व है। किसान को अन्नदाता कहा जाता है। सचमुच, अन्न उगाकर किसान हमारा पेट भरता है।
बड़े सबेरे हल बैल लेकर किसान अपने खेत पर चला जाता है। यह पूरे दिन वहाँ खेती के काम में जुटा रहता है। दोपहर का खाना भी वह खेत पर ही खाता है। शाम को वह घर लौटता है। घर आकर वह बैलों को घास, भूसा, खली आदि डालता है। फिर कहीं जाकर उसे आराम मिलता है। पूस माघ की ठंड, वैशाख जेठ की तेज धूप व वर्षा को तेज झड़ियों के बीच भी किमान अपने काम में जुटा रहता है।
भारतीय किसान का रहन-सहन सीधा-सादा होता है वह ज्यादातर मिट्टी से बने कच्चे मकान में अपने परिवार के साथ रहता है। हमारे देश में खेती प्राय: वर्षा पर आधारित है। अच्छी वर्षा होने पर किसान सुखी होता है। किंतु वर्षों के अभाव में वह दुःखी हो जाता है। जहाँ नहरों एवं ट्यूबवेल से सिंचाई को सुविधा उपलब्ध है, वहाँ के किसान अधिक सुखी हैं।
स्वतंत्रता के बाद हमारे देश के किसानों की दशा में काफी सुधार हुआ है। आज वे भले ही गरीब हो, पर मजबूर नहीं हैं। वे अतिथि का स्वागत दिल खोलकर करते हैं।
आजादी के बाद हमारे देश में शिक्षा का काफी प्रसार हुआ है। इस कारण आज का किसान सर्वथा अनपढ़ नहीं रह गया है। उसके बच्चे गाँव की पाठशालाओं में पढ़ाई पूरी कर आगे की शिक्षा भी प्राप्त कर रहे हैं। इन सब के बावजूद आज भी हमारे अनेक किसान अंधविश्वासों में जकड़े हुए हैं। वे जादू-टोने में विश्वास रखते हैं। मृत्युभोज, विवाह आदि अवसरों पर वे अपनी हैसियत से अधिक खर्च कर देते हैं। इसलिए वे प्रायः कर्ज के बोझ तले दबे रहते हैं। इसके अतिरिक्त वे व्यसनों के भी शिकार होते हैं।
किसान हमारे देश की रीढ़ है। उसकी मेहनत ने देश को आज अनाज के मामले में आत्मनिर्भर बना दिया है। सचमुच किसान ही इस देश का भाग्यविधाता है। देश की प्रगति किसान की प्रगति पर निर्भर है।
जय किसान ! जय भारत।
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