डाकिया
[ रूपरेखा (1) परिचय (2) कार्य (3) लोगों द्वारा प्रतीक्षा (4) गुण (5) समाज का सच्चा सेवक । ]
डाक सेवा का हमारे जीवन में बहुत महत्त्व है। डाक से आने वाली चिट्ठियाँ और पार्सल घर-घर पहुँचाने का काम डाकिया ही करता है। आजकल टेलीफोन और अन्य सुविधाओं के कारण डाक सेवा का महत्त्व कुछ कम हो गया है। फिर भी हमारे सामाजिक जीवन में डाकिए का स्थान आज भी महत्त्वपूर्ण है। डाकिया, सचमुच सेवा की साक्षात मूर्ति है।
डाकघर खुलते ही डाकिए का काम शुरू हो जाता है वह जगह-जगह बनी हुई पत्र पेटियों से चिट्ठियाँ निकाल कर उन्हें डाकघर ले आता है। वह अपने इलाके को डाक अपने थैले में भरकर उन्हें बाँटने के लिए निकल पड़ता है। उसके थैले में पोस्टकार्ड, अंतरदेशीय पत्र तथा लिफाफों के अलावा रजिस्टर्ड पत्र पत्रिकाएँ य मनीआर्डर भी होते हैं। पत्र पर लिखे पतों के अनुसार वह घर-घर जाकर पत्र पहुंचाता है। मनीआर्डर की रकम वह लोगों के हाथों में सौंपता है। डाकिया केवल अपने काम से काम रखता है। न किसी से बातचीत, न किसी से हँसी-मजाक।
डाकिए के आने का समय लगभग निश्चित रहता है। लोग उत्सुकतापूर्वक उसकी प्रतीक्षा करते हैं। डाकिए के आते हो लोगों का चेहरा खिल उठता है। डाकिया वह फरिश्ता है, जो दो दिलों के फासले को दूर कर देता है। ज्यादातर लोगों के लिए वह खुशी का ही संदेश लाता है। कुछ लोगों को दुख के समाचार भी मिलते हैं।
डाकिया कड़ी मेहनत करता है। चिलचिलाती धूप, भीषण ठंड और घनघोर बरसात में भी वह अपना काम बंद नहीं रखता। वह अपना काम बहुत ईमानदारी से करता है। उसे रोज कई किलोमीटर चलना पड़ता है। शहरों में चिट्ठियाँ चाँटने के लिए डाकिए को ऊँचे-ऊंचे मकानों की सीढ़ियाँ चढ़नी-उतरनी पड़ती हैं। फिर भी उसके चेहरे पर शिकायत के भाव नहीं होते।
वैसे तो डाकिया सरकारी कर्मचारी है, परंतु वह समाज का एक महत्त्वपूर्ण सेवक है। उसकी सेवा के बिना हमारा काम नहीं चल सकता। हमें डाकिए के साथ अच्छा व्यवहार करना चाहिए।
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